रात के अँधेरे
में तन्हाई में
बैठे हुए अयान
की आँखों से
आंसू निकल रहे
थे. आंसू की
वजह थी रक्षा
बंधन और इससे
जुडी एक याद। एक
कहानी जिसने अयान
की जिंदगी बदल
कर रख दी
थी. अक्सर अयान
कविता की याद
में डूब कर
रोता रहता था.
और भुलाये से
भी उसको भुला
नहीं पाता था.
एक लड़की जो
उसकी जिंदगी में
अपनी एक अनमिट
छाप छोड़ गई। ये
अयान के साथ
गुज़रने वाली ये
एक ऐसी कहानी
है जो हर
किसी को जज्बात
में लाती है। जहाँ
लोग धर्म के
नाम पर नफरत
फैलाते हैं वहां
पर इस तरह
की कहानी मोहब्बत
को आम करने
का काम करती
है और कुछ
अनकहे रिश्तों की
मोहब्बत का अहसास
कराती है। आइये मैं
आपको अयान की
ज़ुबानी ही ये
काहनी सुनाता हूँ।
सुबह सुबह तैयार
होकर ऑफिस आया
और देखा तो
कोई काम वगैरा
ज्यादा नहीं था। जल्दी
जल्दी काम निपटाकर
मैं ईमेल चेक
करने लगा ईमेल
चेक करते करते
मेरी नज़र पड़ी
एक अजीब से
ईमेल पर जो
की हिंदुस्तान से
आया था मैं
उसे खोलकर पड़ना
शुरू किया तो
उसम इस तरह
से लिखा था
" आदरणीय
भैया ,
आज रक्षा बंधन है.
मैं वो बदनसीब
हूँ जिसका दुनिया
में कोई भाई
नहीं है और
आज से आप ही
मेरे भैया हैं
वो इसलिए की
आज मैं गूगल
बाबा से प्रार्थना
की थी की
मुझे मेरे भैया
से मिलवा दो
तो गूगल बाबा
ने 3. बार सर्च
करने के बाद
आपका प्रोफाइल खोलकर
मुझे दे दिया
और अपनी खामोश
जुबान से कहा
की अगर तुम
10 बार भी सर्च
करोगी तब भी
यही प्रोफाइल दूंगा
क्यों की यही
तुम्हारा भाई है
इसलिए मैंने आपकी प्रोफाइल
देख और पढ़कर
आपको अपना भाई
मान लिया है उम्मीद
है की आप
भी मुझे अपनी
बहन स्वीकार करेंगे। मेरा
नाम कविता है
और मैं हिंदुस्तान,
मुंबई से हूँ
इसी ईमेल के
साथ मैं आपको
एक राखी भेज
रही हूँ इसे
मेरी तरफ से
स्वीकार करे.
इस ईमेल को
पढ़कर मैं काफी
देर तक मुस्कुराता
रहा, की दुनिया
में पागल लोगों
की कमी नहीं
है। इस
लड़की के बातें
पढ़कर इसके भोलेपन
का काफी अहसास
हो रहा था
और हंसी भी
आ रही थी
ये इंटरनेट पर
अनजान भाई तलाश
करने निकल पड़ी.
खैर मुझे मेरे
जमीर ने कहा
की यार इसको
जवाबी ईमेल तो
करना चाहिए. मैं
उसे इस तरह
तरह जवाबी ईमेल
लिख. " कविता" मुझे आपका
ईमेल मिला और
आपकी बातें पढ़कर
अजीब सा भी
लगा. और इस
बात का ज्यादा
अहसास हुआ की
दुनिया में खास
कर मेरे वतन
भारत में आज
भी बहुत भोले
लोग पाये जाते
है. खैर कविता
जी मेरा नाम
अयान है और
मैं दुबई में
हूँ और मैं
मुस्लिम समाज से
हूँ इसलिए रक्षा
बंधन में यकीं
नहीं रखता इसलिए
मैं सिर्फ आपको
दुआ ही दे
सकता हूँ की
आपको रक्षा बंधन
के दिन कोई
अच्छा सा भाई
मिल जाए ये
लिखार मैं ईमेल
भेज दिया दूसरे
दिन मुझे दुबारा
उसका ईमेल मिला
उसमे लिखा था
"आदरणीय भैया , आपने मेरे
ईमेल का जवाब
भेजा इसके लिए
आपका सुक्रिया और
भैया आपने लिखा
की आप मुस्लिम
है इसलिए मेरे
भाई नहीं हो
सकते हो इस
पर मैं सिर्फ
इतना ही कहूँगी
की भाई जिस
ईश्वर ने आपको
दुनिया में भेजा
है उसी ने
मुझे भी भेजा
है. हमारा मालिक
एक है तो
हम अलग - अलग
कैसे हो सकते
हैं. भैया मैंने
दिल की गहराई
से आपको ही
अपना भाई माना
है और अगर
आप मुझे स्वीकार
करेंगे तो मेरे
लिए इस रक्षा
बंधन का इससे
बड़ा तोहफा कोई
नहीं होग. मुझे
आपके जवाबी ईमेल
का इन्तजार रहेगा
और हाँ आपने
मोबाइल नंबर भी
भेजना।
उसका ईमेल पढ़कर
मेरे समझ में
ये नहीं आ
रहा था की
मैं इसको जवाब
क्या दूँ मेरे
एक करीबी दोस्त
ने कहा की
शायद इसको कोई
लालच होगा यार.
आज के इस
स्वार्थी दौर में
किसी पर भी
भरोसा नहीं करना
चाहिए। उसकी
बातें सुनकर मेरे
दिमाग में फिर
से दूसरी तरफ
पलटा रात सोया
तो यही सोचता
रहा की इसकी
बातों से लगता
नहीं की ये
लड़की लालची है
इतनी भोली भली
बच्चों जैसी बातें
करने वाली लड़की
धोकेबाज़ तो हो
ही नहीं सकती
है इस तरह
सोचते सोचते नींद
की आगोश में
चला गया सुबह
उठकर ऑफिस गया
तो ईमेल चेक
किया तो सबसे
पहले उसी का
ईमेल आया था
खोलकर पढ़ना शुरू
उसमे लिखा था
"बड़े भैया " आपको सुप्रभात
उम्मीद है की
आप बिलकुल ठीक
होंगे आपके ईमेल
का इंतज़ार करते
करते थक गई
थी इसलिए मैंने
सोचा की की
चलो मैं ही
आपको ईमेल कर
दूँ खैर अब
से आपको रोज़ाना
सुबह सुबह मेरा
ईमेल मिल जाया
करेगा. आज आपको
एक खूबसूरत सी
राखी भेज रही
हूँ उसकी ये
बातें पढ़कर मैं
फिर काफी देर
तक सोचता रहा।
आखिर ये लड़की
चाहती क्या है
क्यों ऐसा करती
है ये सब
बातें सोचते हुए
मैं भी उसे
जवाबी ईमेल भेजा
मैं इस तरह
लिखा कविता मैं
नहीं जानता की
आप कोण है
और क्या चाहती
है आप क्यों
मुझसे रिश्ता जोड़
रही हो जबकि मैं
पहले ही कह
चूका हूँ की
मुझे इस तरह
की रिश्तों पर कोई
यकीं नहीं है
ये महज़ एक
इतिफाक है की गूगल
में बार बार
आपके सर्चिंग करने
पर मेरी प्रोफाइल
सामने आ गई
और आपने बिना
देखे बिना सोचे
समझे मुझे अपना
भाई बना लिया
आखिर आपका मकसद
क्या है क्यों
आप ये सब
कर रही हो
और ये लिखार
मैं ईमेल भेज
दिया और मैं
अपनी दिनचर्या में
खो गया दूसरे
दिन सुबह उसका
ईमेल मिला उसमे
मेरे ईमेल का
जवाब लिखा था
जिसे पढ़कर मैं
भाबुक हो गया
उसमे लिखा था
की मैं आपकी
एक बहन हूँ
और मैं सिर्फ
आपका आशीर्वाद चाहती
हूँ और मुझे
आपसे कुछ नहीं
बस आप मुझे
अपने दिल में
थोड़ी सी जगह
दे दें मैंने
सोच समझ कर
बल्कि घर में
सबको बताकर आपको
दिल से अपना
भाई स्वीकार किया
है मुझे लगता
है की आपका
दिल बहुत नर्म
है
बिलकुल मेरी तरह
ज़िंदगी भर
के लिए मैंने
आपसे भाई बहन
का रिश्ता जोड़ा
है यही मेरा
मकसद है और
मुझे किसी चीज़
का लालच नहीं
है भैया दुनिया
में आप ही
एक सिर्फ मेरे
भाई हैं अगर
आप ही ठुकरा
देंगे, तो फिर
बदनसीब ही रह
जाऊँगी आखिर मैं
आपसे यही प्रार्थना
है की आप
अपना नंबर मुझे
भेजना ताकि मैं
आपसे बात कर
सकूँ और ये
सब बातें लिखने के बात कविता ने इस ईमेल के साथ भी रोज़ाना की तरह एक
सुन्दर सी राखी का फोटो अटेच कर के भेजा था. रोज़ाना उसके ईमेल पढ़ पढ़ कर मेरे दिल में
भी उसके लिए काफी मोहब्बत पैदा हो चुकी थी लेकिन मैं खुलकर उसको अपनी बहन स्वीकार करने
से बचता रहा इस तरह रोज़ाना सके ईमेल मिलते रहते और वो भी कभी तस्वीर की तो कभी मोबाइल
नंबर की फरमाईस करती रहती।
आखिर कार एक दिन
मैं उसको अपना नंबर भेज ही दिया और कुछ दिन अचानक मैं बीमार हो गया था इसलिए ऑफिस जा
नहीं सका और दो दिन तक घर पर ही रेस्ट करता रहा बार बार वो कविता ही मेरे दिमाग में
टेंशन की तरह घूमती रहती इतने में एक दिन मोबाइल की घंटी बजी. मैंने फ़ोन रिसीव किया
और हेलो कहा तो उधर से आवाज आई की भैया अब तबियत कैसी है है ? मैं हैरान रह गया की
मेरे बीमार होने के बारे में तो किसी को भी पता नहीं था आगे उसने कहा भैया मैं कविता
बोल रही हूँ आपकी तबियत कैसी है और आप दवाई लेने में इतनी सुस्ती क्यों करते है वक्त
पर दवाई लेते तो अभी तक ठीक हो जाते वो 18. साल की लड़की मुझे ऐसे समझा रही थी जैसे
की मेरी माँ हो और पहले बार मैं ही इस तरह बातें कर रही थी जैसे बरसों से मुझे जानती
हो। मैंने कहा की मैं अब ठीक हूँ दवाई भी ले
ली है और उसमे कुछ देर बात करने के बात मैं उससे पूछा की आपके घर में और कौन कौन है
? तो वो बोली की माँ है और पिता जी हैं , एक छोटी बहन है निशा और मैं हूँ और भैया आपकी
कमी है उसकी बातें कभी कभी मुझे चौंका जाती है फिर उसने पिता जी को फिर दिया उसके पिता
जी ने मुझसे बात की और कहा बीटा अयान कैसे हो तुम दो दिन से बीमार थे ना अब कैसे हो
? मैं मैंने उनसे पुछा की आप सभी को कैसे मालूम?
वो बोले बेटा
जब तक तुम्हारा
ईमेल नहीं आता
कविता की चैन
नहीं आता और
रोज़ाना तुम्हारा ईमेल पढ़कर
हमें भी सुनाती
है दो दिन
से तुम्हारा ईमेल
नहीं मिला तो
इसने भी कहाँ
पीना छोड़ दिया
था और जिद
करती थी की
मुझे अयान भैया
से बात करवाओ
फिर जो बोलोगे
वो करने के
लिए तैयार हूँ
ये बातें सुनकर
मेरी हैरत की
तन्हाई हो गई
की या खुद
ये लड़की इतनी
मुझसे मोहब्बत करती
है इतना मुझे
मानती है इतना
तो शायद मेरी
सगी बहन होती
तो वो भी
नहीं कर सकती
न इसे किसी
चीज़ का लालच
है और कोई
स्वार्थ ये सोचते
हुए मेरी आँखों
से आंसू आ
गए इतने में
उसके पिता जी
बोले कहाँ खो
गए बीटा मैं
कहाँ जी बोलिए
मैं सुन रहा
हूँ फिर वो
बोले की कविता
सारा दिन अयान
अयान की ही
रत लगाए रहती
है और सारा
दिन ज्यादातर तुम्हारे
बारे में ही
बात चीत करती
रहती है और
कहती है की
भैया हिंदुस्तान आएंगे
तो मैं उनको
राखी बाँधने जाऊँगी। भैया
मेरे सर पर
हाँथ रखर आशीर्वाद
देंगे. इस तरह
सपने सजाती रहती
है
उसके बाद तो
कई बार उसका
फ़ोन आया और
मैंने उससे उसके
घर वालों से
बात की वो
काफी अचे लोग
थे। और
मुझसे काफी घुल
मिल गए थे.
मध्यमवर्गीय परिवार
था वो लोग
मुझसे अपनी मोहब्बत
का इज़हार करते
रहते और मुझसे
बात करके काफी
खुश होते रोज़ाना
सबह होते ही
कविता का ईमेल
मुझे मिल जाता
जिसमे खास कर
के राखी जरूर
होती मैं भी
कविता से काफी
घुल मिल गया
था. सबसे बड़ी
बात जो मेरे
दिल को छु
गई वो ये
की हिंदुस्तान से
दुबई फ़ोन करने
में काफी पैसे
खर्च होते हैं
फिर वो मुझे
फ़ोन करती इस
बारे मैं उसके
पिता जी से
पुछा था तो
उन्होंने कहा था
की इसको जो
हाँथ खर्ची देते
हैं ये उसको
जमा करके मोबाइल
में बैलेंस डलवाकर
तुमसे बात कर
लेती है इसका
और कोई दूसरा
खर्च है ही
नहीं
कमाल की पगली
थी वो फ़ोन
करती कभी कहती
भैया मैंने आज
आपके लिए खाना
बनाया है कभी
कहती वो बनाया
है तो कभी
मुझे उन पकवानो
की तस्वीर खींच
कर भेज देती
उससे रिश्ता जुड़े
शाल हो चूका
था लेकिन इस
एक साल में
मुझे कभी नहीं
लगा की वो
मेरी सगी बहन
नहीं है ना
उसको लगा की
मैं एक अनजान
लड़का हूँ वो
तो कहती है
की कौन कहता
है की आप
मेरे सेज बैया
नहीं है आप
मेरे दिल के
सबसे करीब हैं। अजीब
से बात है
की लोग इंटरनेट
पर ना जाने
क्या क्या पा
लेते हैं और
एक मैं था
जिसे अनजाने में
कविता जैसा तोहफा
बहन के रूप
में मिल गया
जिसकी मीठी मीठी
बाते मेरे दिल
को छु जाती
जब भी मैं
अपनी गर्लफ्रेंड रूखसार
से बाते कर
रहा होता ना
चाहते हुए भी
मेरी जुबान से
बार बार कविता
का नाम निकलता
वो रोज़ाना कहती
है की यार
क्या आप भी
एक गैर मुस्लिम
लड़की के नाम
की माला जपते
रहते हो एक
दिन मैंने उससे
कहा की रूखसार
प्लीज़ मेरे सामने
कविता के बारे
में कोई गलत
बात मत करो
वो जैसी भी
है मेरी बहन
है और उसने
मुझे बहन का
वो प्यार दिया
है जो मुझे
कभी नहीं मिला
और दुनिया में
उसे ही सबसे
ज्यादा मेरी फ़िक्र
है ये बातें
सुनकर रूखसार गुस्सा
हुई और कहने
लगी की मुझे
ये कविता, कविता
की रत बिलकुल
पसंद नहीं है
दो प्रेमी आपस
में मिलते हैं
रोमांस करने की
लिए और एक
तुम हो जो
उस कविता की
बकवास लेकर बैठ
जाते हैं
और कविता कहीं
जाकर मर क्यों
नहीं जाती और
भी उसने दो
चार गलत अलफ़ाज़
कविता के लिए
कह दिए।
रूखसार के ये
अलफ़ाज़ सुनकर मैं
अपने गुस्से पर
काबू ना रख
सका, और मैंने
उसे एक जोरदार
थपड जड़
दिया और मेंसे
उससे कहा की
तुम जैसी हज़ार
लडकिया मिलकर भी एक
कविता जैसी नहीं
बन सकती ये
सुनकर वो नाराज़
हो कर चली
गई उसके बात
मैंने कई बार
उसे फ़ोन करने
की कोशिश की
लेकिन वो मेरा
फ़ोन रिसीव भी
नहीं करती मैंने
उससे मिलने की
भी कई बार
कोशिश की
लेकिन वो मुझसे
मिलती भी नहीं
वो बिलकुल मेरी
ज़िंदगी से निकल
गई. क्यों की
मैं भी उससे
बहुत प्यार करता
था और उससे
शादी के सपने
देखता था इसलिए
उसके बगैर रहना
भी मेरे लिए
दुश्वार था लेकिन
उसका कविता के
लिए कुछ गलत
कहना ये भी
मुझसे बर्दाश्त नहीं
था कविता के
लिए तो मैं
ऐसी हज़्ज़र रुखसार
भी कुर्बान करने
को तैयार था
कई दिन तक
मैं अंदर ही
अंदर घुलता रहा
क्यों की कविता
को मैं सब
कुछ रुखसार के
बारे में बता
चूका था इसलिए
मुझसे रहा नहीं
गया और मैंने
एक दिन कविता
को अपने रुखसार
के झगडे के
बारे में सब
कुछ बता दिया
मेरी बात सुनकर
कविता मुझपर नाराज़
हुई और कहने
लगी की आपको
कोई हक़ नहीं
की आप मेरी
भाभी को इस
तरह से जलील
करें.
आपने क्यों उन पर
हाँथ उठाया इस
तरह तो चार
सख्त बाते सुनकर
सुने रुखसार के
नंबर मांगे और
कहा की अब
जाओ और आराम
करो. भाभी को
मनाना मेरा काम
है मैं सोच
रहा था की
एक तो रुखसार को
वैसे ही कविता
के नाम से
चीड़ है ऊपर
से ये उसको
फ़ोन करेगी कही
वो इसको उल्टा
सीधा न सुना
डाले लेकिन मेरी
कविता तो बर्दास्तka
समंदर थी और
इसकी आदत भी
मुझे पता थी
की अगर रुखसार
ने इसे कुछ
बुरा भला कह
भी दिया तो
ये तो कभी
भी मुझे नहीं
बताएगी। कविता
ने रुखसार को
हिंदुस्तान से फ़ोन
करके उससे काफी
देर बात चीत
की और कविता
ने रुखसार से
कहा की अगर
आप दोनों की
रिलेशन शिप के
ख़राब होने की
बजह मैं हूँ
तो मैं आज
ही आप दोनों
के बीच से
हट जाती हूँ
लेकिन मैं हमेशा
से आपको अपनी
भाभी के रूप
में देखती हूँ
और में ये
चाहती हूँ की
भैया सिर्फ आपसे
ही शादी करे
और भैया आपसे
बहुत ज्यादा मोहब्बत
करते हैं और
आपने छोटी सी
बात की बजह
से रिश्ता ख़त्म
करने के बारे
में कैसे सोच
लिया ये तो
मैं जानती हूँ
की वो आपसे
कितना प्यार करते
हैं अगर वो
आपके सामने मेरी
इक बात करते
हैं तो मेरे सामने
आपके बारे में
काफी बात करते
रहते हैं लेकिन
मैं तो कभी
बुरा नहीं माना। उसकी
ये जज्बात भरी
बातें सुनकर रुखसार
तो पड़ी और
उससे फ़ोन पर
माफ़ी मांगने लड़ी
और उससे वादा
किया की आज
शाम को ही
मैं अयान से
मिलूंगी। कविता
ने मुझे नेट
पर बताया की
आज मैं शाम
को आपने लिए
एक तोहफा भेज
रही हूँ मैं
इस बात का
मतलब समझ नहीं
पाया मैंने सोचा
की पता नहीं
क्या मामला है
अचानक शाम को
घर में दरवाजे
की घंटी बजी
, मैंने उठकर दरवाजा
खोला तो मैं
हैरान रह गया
की रुखसार मेरे
सामने कड़ी थी
मैं समझ की
कविता का तोहफा
यही है.
मैंने बिना कुछ
कहे उसे वेलकम
किया उसने मुझसे
माफ़ी मांगी इसी
तरह दिन गुज़रते
रहे कुछ महीने
बाद मेरा हिंदुस्तान
जाने का प्रोग्राम
हुआ। मैं
सिर्फ 15. दिन के
लिए ही जा
रहा था मैं
कविता को बता
दिया था की
मैं इस तारीख
को हिंदुस्तान आ
रहा हूँ उसने
मेरे आने से
पहले ही अपने
पिताजी और माँ
के साथ मिलकर
मेरे स्वागत की
तैयारी कर ली
मैं। हिंदुस्तान
भी आया और
पहले बार कविता
से मिलने के
लिए मुंबई गया। शायद
उसके पुरे घर
में मेरे आने
की जोशो खरोश
से तैयारियां चल रही
थी वैसे तो
हम इस्काइपी पर
कई बार वीडियो
चैट कर चुके
थे इसलिए उन
सभी घर वालों
को पहचानना मेरे
लिए मुश्किल काम
भी नहीं था
और मुझे तो
उम्मीद थी की
वो मुझे देखते
ही पहचान लेंगे।
जैसे ही मैं
मुंबई पहुंचा और
बस से निचे
उतरा तो देखा
की कविता और
उसका परिवार वहां
पहले से ही
मेरा इंतज़ार कर
रहे थे मैं
ज़िंदगी में पहले
बार उन सबसे
मिला था लेकिन
ऐसा लग रहा
था की जैसे
मैं सफर में
वापस अपने घर
आ गया हूँ
उन सबका प्यार
और स्वागत और
उन सबकी खुसी
देख कर मुझे
काफी अपनापन महसूस
हो रहा था
मेरे वहां जाने
से सबसे ज्यादा
कविता खुस थी
वो मेरी मुह
बोली बहन जो
पिछले 2. साल से
मेरे साथ बिलकुल
सगी बहन की
तरह बात चीत
कर रही है।
रुपये खर्च करके
इंडिया से मुझे
फ़ोन करती
है, तो इंटरनेट
पर कई बार
चैट करती है
उसकी हंसी मजाक
, चंचलता, कभी रूठना
, कभी बड़ों से
भी ज्यादा समझदार
बातें करना तो
कभी बच्चों की
तरह हरकतें करना।
आज वो मेरे
सामने थी उसे
देख देख कर
मेरी आँखों से
आंसूं बह निकलते
और दिल सोचता
की शायद, ज़िंदगी
में इसी की
कमी थी ईन्सको
जन्म तो दूसरी
माँ ने दिया।
लेकिन दिल ऐसा
था की जैसे
हम दोनों को
एक ही माँ
ने जन्म दिया
हो। मेरे
आने से कई
दिन पहले से
ही खुशियां मनाने
वाली वो नादान
लड़की आज पहली
बार मिली तो
भी ऐसे की
उसके आंसूं ही
नहीं थम रहे। पिता
और माँ को
तस्सली देते और
कटे की क्या
इतनी ही ख़ुशी
थी की जो
अयान के आते
ही खत्म हो
गई और इसको
देखते ही तूने
रोना मचा दिया
जब पानी बाल्टी
में भर जाये
तो वो भी
चालक जाया करता
है। ये
तो उसकी ख़ुशी
के जज्बात थे
भला कैसे ना
छलकते। फिर
मैं इंसके साथ
घर गया और
जितने दिन रहा
ख़ास बनकर था
रक्षा बंधन ना
होने के बावजूद
भी मुझे एक
कुर्सी पर बिठा
कर उसने राखी
बाँधी यहाँ तक
की उसने घर
पर ये भी
कह रखा था
की मेरे लिए
लड़का भी भैया
ही तलाश करेंगे
फिर भी मैंने
उससे उसकी पसंद
पूछी। उसने
सर्माते हुय मुझे
बताया। लेकिन साथ ही
ये भी कहा
की आप उनसे
मिल ले , अगर
आपको वो पसंद
हुए तो ठीक
है वरना जरूरी
नहीं है। वो मेरे
दिल के इतना
करीब थी, तो
मैं भी उसके
दिल के करीब
था उसकी पसंद
ना पसंद को
काफी हद तक समझता
था
इसलिए मैंने उस लड़के
से मुलाकात की
उसके बाद कविता
के पिता जी
और मान से
मैंने इस बारे
में मश्वरा किया
और मेरे रहते
ही हमने कविता
की मंगनी उसी
लड़के के साथ
कर दी और
शादी के लिए
हमने उनको वो
समय दिया जिसमे
मैं आसानी से
इंडिया दुबारा आ सकूँ।
कविता मंगी पर
काफी खुश थी
और उसने रुखसार
से बात करवाई। जितना
उन्होंने मुझे सम्मान
दिया उसको मैं
बयां नहीं कर
सकता हूँ मैं
उनके घर उनके
घर का सदस्य
बनकर गया था। और
उनके घर का
एक हिस्सा बनकर
लौटा हँसते मुश्कुराते
कई यादगार लम्हात
को दिल में
सजाय मैं वहां
से वापस रवाना
हुआ। चंद
दिन उनके साथ
रहकर अब उनसे
जुड़ा होना मेरे
और उन सभी
के लिए काफी
मुस्किल साबित हुआ.
कविता का और
निशा का तो
रो रो कर
बुरा हाल था। जैसे
जैसे करके वहां
से रुखसत हुआ
और ये वादा
करके आया की
जल्द ही दुबारा
लौटूंगा। और
उसके बाद ही
कविता की शादी
की तारीख तय
करेंगे। उसके
बाद मैं दुबई
आ गया। इसी तरह
रोजाना उसके इमेल्स
का सिलसिला जारी
था। तो ऑनलाइन
बात भी होती
थी। मैं कविता
के साथ रिश्ते
को लेकर काफी
सीरियस था।
उसने अपनी जिंदगी
में काफी अहमियत
देता था। कभी भी
उससे कोई बात
मैं नहीं छुपाता
था और ना
ही वो मुझसे
कोई बात छुपाती
लेकिन शायद ये
मेरी गलत फहमी
थी। कविता
मुझसे एक राज
छुपा गई थी। जिसका
मुझे काफी बाद
में ज्ञान हुआ। काश
मैं पहले ये
जान जाता। हुआ
यूँ की एक
दिन रोजाना की
तरह ऑफिस में
काम कर रहा
था।
इतने में
मोबाइल पर घंटी
बजी देखा तो
कविता का फ़ोन
है मैंने फोन
रिसीव किया तो
दूसरी तरफ से
उसके पिता जी
बात कर रहे
थे और मैंने
महसूस की वो
काफी घबराये हुए
थे और कह
रहे थे की
बीटा कविता बहुत
बीमार है। मैं उनसे
पुछा की आखिर
बात क्या है
मुझे बताओ लेकिन
जाने क्यों वो
कुछ छुपा रहे
थे मैंने घुस्सा
हो कर उनसे
पुछा की बस
अब बहुत हो
गया। बताओ
की बात क्या है
तो फिर वो
बोले बेटा कविता
ने मुझे कसम
दी है की
मैं आपको उसकी
बीमारी के बारे
में कुछ न
बताऊँ मैंने उनसे
काफी मिन्नतें की
तब जाकर वो
बोले की कविता
को कैंसर हैं
और अब इसका
बचना मुमकिन नहीं
ये सुनकर तो
मेरे होश ही
जाते रहे और
मेरी आँखों के
आगे अँधेरा छाने
लगा ऐसा लगता
था की मैं
गिर पडूंगा किसी
तरह मैंने अपने
आप को संभाला
और फ़ोन पर
उनको तस्सली दी
और उनसे कहा
की आप घबराइये
नहीं सब ठीक
हो जायेगा उस
वक्त कविता
हॉस्पिटल
में थी साथी
मुझे ये भी
बताया गया की
वो भैया भैया
की रत लगाये
हुए है। मैं सोचा
की अब आज
की आज ही
मेरा इंडिया जाना
बहुत जरूरी है
मैंने जैसे तैसे
कर के यहाँ
छुट्टी की अप्लाई
कर दी और
जल्दी - जल्दी इंडिया का
टिकट करवाया और
मैं यहाँ से
रात को रवाना
हुआ इस दौरान
मेरा खाना पीना
भी हराम हो
चूका था।
प्यास लगती लेकिन
पानी गले के
निचे नहीं उत्तर
रहा था। प्लैन में यही
सोचता गया की
काश कविता पहले
ही मुझे बता
देती तो मैं
उसका इलाज करवाता। उसे
बेहतर से बेहतर
डॉक्टर को दिखता
और उसकी जान
बचा सकता। खैर अब
भी कुछ नहीं
हुआ था। मैंने इंडिया पहुँचते
ही अपनी सारी
जमा राशि को
कैश किया और
सीधा कविता के
घर पहुंचा। जाकर देहा
तो वो लाचार
सी बिस्तर पर
पड़ी थी बिलकुल
सूख कर काँटा
हो चुकी थी।
उसके चेहरे से
रौनक खत्म सी
हो चुकी थी। मुझे
देखते ही बिस्तर
से उठने की
कोशिश करने लगी
मैं दौड़कर उसके
पास गया और
उसे तस्सलियां देता
रहा। मैंने
अपने दोस्तों को
फ़ोन कर के
मुंबई आने को
कहा और साथ
ही डॉक्टर्स की
एक टीम भी
वहां बुलाई। काफी
जल्दी मचने के
बाद भी वक्त
काफी काम था। कविता
मेरा हाँथ पकड़कर
बोली की भैया
आप मेरे पास
आ गये अब
और कोई तम्मना
नहीं।
अब मैं सुकून
से मर सकती
हूँ मेरा दिल
बहुत रो रहा
था। लेकिन
मैं अपने आंसू
रोके हुए था। मुझे
पता था की
अगर मैं रो
पड़ा तो इन
सब को कौन
संभालेगा। मैं काफी
देर तक उन
सभी को तस्सलियां
देता रहा। लेकिन मेरी तस्सलियां
कविता की जान
नहीं बचा सकती
थी। इतने सारे
डॉक्टर्स और सबके
बीच वो अकेली
तड़प रही थी
12 घंटे
हॉस्पिटल में आये
हो चुके थे। मैं
और उसके पिता
जी और माँ
सिर्फ पानी पर
गुजर करके वहां
रुके हुए थे। मैंने
सोचा की इन
दोनों बुजुर्गों के
लिए कुछ खाने
पीने को लाऊँ
इतने में कविता
की चीख की
आवाज कानो में
पड़ी, हम सभी
उसकी तरफ दौड़े। उसके
बिलकुल पास पहुँचते
ही उसने एक
हाँथ में मेरा
हाँथ पकड़ा और
दूसरे हाँथ में
अपनी माँ का
हाँथ पकड़ा, और
उसी वक्त दम
तोड़ दिया।
मैंने इतनी करीब
से उसकी मौत
देखी थी। गम और
सदमे की वजह
से मैं बेहोश
हो कर गिर
पड़ा. जब होश
आया तो कविता
अपने आखिरी सफर
पर रवाना होने
वाली थी। आज भी
वो मेरा ही
इन्तजार कर रही
थी। उसका
अंतिम संस्कार किया
गया उसके दुनिया
से जाने के
बाद मैं कई
माह तक मैं
मुस्कुरा भी नहीं
पाया। उसकी
मौत का गम
ऐसा था की
जैसे वो अपने
साथ मुझे भी
मार गई। कभी
मैं उसके भेजे
हुय इमेल्स पढ़ता।
कभी उसकी राखी
को देखता। उसकी यादों
की दुनिया से
बहार आते आते
मुझे काफी अरसा
लग गया। कभी
कभी जज्बात का
रिश्ता सगे रिश्ते
से काफी बढ़कर
हो जाता है।
दोस्तों इस कहानी
को लिखते हुए
मुझे एक महीना
दस दिन लगे
हैं। ये
जज्बात की वो
कहानी है जो
इंसान को सोचने
पर मजबूर कर
देती है। खास
कर धर्म के
नाम पर लड़ने
झगड़ने वालों के
लिए एक नसीहत
है। सबसे बड़ा
रिश्ता जज्बात का रिश्ता
ही होता है। जज्बात
और भावनाए कभी
धर्म, अमीरी गरीबी,
वगेरा नहीं देखते।
आखिर हम सब
इंसान ही है
ना, हमारे आसपास
एक जैसे हैं,
हमारे जज्बात एक
जैसे हैं , हमारे
दिल भी एक
जैसे है फर्क
है सिर्फ हमारी
सोच में। जिसे हमें
बदलना चाहिए। ये कहानी
अगर इस लायक
है की आप
इस कोई कमेंट्स
दे तो आप
जरूर अपनी राय
मैं तो कहता
हूँ इसे पढ़कर
ही अपनी कीमती
राय रखें।
http://www.facebook.com/shaktideena1989
http://www.twitter.com/shaktideena