आदमी था काम का दीवाना बन कर रह गया !
तुम्हारी याद में मिटकर फ़साना बन कर रह गया !!
वो नगमा जिसे हम लिखते थे और तुम गुनगुनाते थे !!
वही नगमा हमारे प्यार का तराना बन कर रह गया !!
वही दिलकश नज़ारे हैं जहाँ मिलते थे हम और तुम !!
तेरी यादों का ताजमहल मेरा ठिकाना बन कर रह गया !!
हमारा दिल जिसमे आजतक उल्फत तुम्हारी है !!
मेरे महबूब तेरी यादों का आशियाना बन कर रह गया !!
मिले वो आज हमसे जुदा होकर इतने सालों बाद !
थी कल तक तो मेरी पहचान मगर अंजना बन कर रह गया !!
किया "शक्ति" ने तो तुमसे सच्चा प्यार ऐ दिलबर !
ज़माने में क्यों मेरा प्यार एक अफसाना बन कर रह गया !!
*Written by Shakti*
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