शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !
शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !!
कभी फेसबुक तो कभी जीवनसाथी डॉट कॉम खोलती हूँ मैं!
शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !
जीमेल में चैट करती हूँ मैं !
कभी हाउ आर यू तो कभी!!
हाय हैंडसम बोलती हूँ मैं !
शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !!
कभी बरगर तो कभी पिज़्ज़ा खाती हूँ मैं !
फिर अपने टमी को कण्ट्रोल नहीं कर पाती हूँ मैं !!
शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !!
कभी मैगी तो कभी चाय पीती हूँ मैं !
और अगर कभी प्याज़ कि कचोरी न मिले तो !!
अपने शॉप कीपर से लड़ जाती हूँ मैं !!
शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !!
दिस इयर मेरे सारे फ्रेंड्स कि शादियां हो जाएँगी!
में बी मैं अकेले रह जाऊंगी !!
पता नहीं मेरे सपनो का राजकुमार कब आयेगा!
न जाने डोली में बिठा कर कब ले जायेगा!!
मॉर्निंग में पता चलता है!!
ये सब सपने में देखती रहती हूँ मैं !!
फिर शादी कि टेंशन लेती हूँ मैं !
(Written By Shakti)
एक मार्मिक कहानी ":-
ReplyDelete‘ओ…रिक्शे वाले, आजाद नगर चलोगे?‘ सज्जन व्यक्ति जोर से चिल्लाया।
‘हाँ-हाँ क्यों नहीं?’रिक्शे वाला बोला। ‘कितने पैसे लोगे?’ ‘बाबू जी दस रुपए।’
‘अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।’ रिक्शे वाला बोला,‘साहब चलो आठ…’ ‘अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।’रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एकसमय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा। मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते मेंरिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं मझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से आजाद नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भीक्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इस लिए इसे पाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था। आजाद नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया सज्जनव्यक्ति ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।
रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपने दस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?’ सज्जन व्यक्ति बोला,‘भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।’ ‘और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसाकरके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं? "रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही सज्जन व्यक्ति को क्रोध आ गया। वह बोला -’तुम लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।
moral...अगर आप किसी गरीब को सताकर और भिखारी को भीख देकर ये सोचते हो कि आपने पुण्य कमाया है तो आप गलत हो ..
Nice Line continue writing....
ReplyDelete