Thursday, December 12, 2013

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर दिल्ली की बेचैनी को केजरीवाल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूं , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
 
सियासत एक भयानक फिल्म सी हॉरर कहानी है !
कभी कांग्रेस दीवानी है कभी बीजेपी दीवानी है !!
अन्ना अनशन पर बैठे हैं, मेरी आंखों में आंसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
 
कविता छोड़कर के अब, सियासत में मैं आया हूं !
अन्ना के मंच पर चढ़, यहां तक पहुंच पाया हूं !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
 
शीला चिढ़ गईं मुझसे, राहुल को परेशानी!
कलम रखकर के ली झाड़ू, तो है सबको ही हैरानी!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा ये सियासत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

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