Tuesday, December 17, 2013

Shayari

खफा रहने का शौक भी पूरा कर लो तुम,
लगता है तुम्हे हम ज़िंदा अच्छे नहीं लगते....!!

हमने दिल जो वापस माँगा तो सर झुका कर बोले,
वो तो टूट गया हमसे यूँ ही खेलते-खेलते.....!!

क्या पाया है मैने इस सदियों कि मुहब्बत से,
एक शायरी का हुनर, दूसरा जागने कि सज़ा...!!

चढ़ती थी उस मज़ार पर चादरें बेशुमार,
और बाहर बैठा एक फ़क़ीर सर्दी से मर गया..!!

डरता हूँ कहने से कि मुझे मोहब्बत है तुमसे,
मेरी ज़िन्दगी बदल देगा, तेरा इकरार भी, तेरा इन्कार भी.....!!

मेरे यार के शहर में भीड़ बहुत है,
उसका साथ हो तो अच्छा लगता है ट्रेफिक में फंसे रहना..!!! 


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