Monday, April 14, 2014

आँखें !



मिलता हूँ तुम्हे देख कर भर जाती है आँखें !
गर न मिलूं तो याद में भर आती है आँखें !!

गलियों में इतिफाक से आता हूँ  जो तेरी !
ये रह गुज़ार देख कर भर आती है  आँखें !!

कहना तो बहुत कुछ ये चाहती है किसी से !
जरिये ये आंसुओं के ये भर आती है आँखें !!

आँखों की जुंबा को भी क्या समझे कोई भला !
गम में कभी खुशियों में भी भर आती है आँखें !!

(Written By Shakti)

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